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बोर्ड चार्टर
1.0 भूमिका
भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम के अधीन सार्वजनिक उद्यम विभाग, भारत सरकार के केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (सीपीएसई) में कारपोरेट गवर्नेंस के लिए विस्तृत निर्देश जारी किया था। एमएमटीसी के निदेशक मंडल ने 31 जनवरी 2011 को आयोजित 384वीं बैठक में इन दिशा निर्देशों को अपनाने की स्वीकृति प्रदान की। ये दिशा निर्देश अन्य बातों के साथ-साथ बोर्ड चार्टर के एक औपचारिक अभिकथन का ध्यान देते हैं जिसमें बोर्ड तथा व्यक्तिगत निदेशकों की भूमिका और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। तदनुसार इसे बोर्ड चार्टर दिनांक 12 दिसम्बर 2011 को आयोजित बोर्ड की 392 वीं बैठक में स्वीकृति प्रदान की गई है।
2.0 बोर्ड का गठन
बोर्ड का गठन डीपीई के दिशा निर्देशों और स्टॉक एक्सचेंजों के साथ धारा 49, समय-समय पर यथा संशोधित किए गए समझोते के अनुरूप किया जाएगा। वर्तमान में निदेशक मंडल के गठन के संबंध में निम्नांकित बातें अपेक्षित है:
(i)कंपनी के निदेशक मंडल में अधिकतम कार्यकारी, नामित और स्वतंत्र निदेशकों को शामिल किया जा सकता है।
(ii)सरकार द्वारा नियुक्त नामित निदेशकों की संख्या अधिकतम दो होगी।
(iii)एमएमटीसी के एक लिस्टेड कंपनी और कार्यकारी अध्यक्ष के प्रमुख होने के कारण स्वतंत्र निदेशकों की संख्या कम से कम समस्त बोर्डकी संख्या का 50 प्रतिशत होगी।
3.निदेशक मंडल की शक्तियां व उत्तरदायित्व
निदेशक मंडल का प्राथमिक उत्तरदायित्व कंपनी के कार्यो का कुशलता पूर्वक प्रबंधन करना और रणनीतियां तथा नीतियां स्थापित कर स्थायित्व सुनिश्चित कर और स्टेकहोल्डर्स के लिए मूल्य संवर्धन करना है।
बोर्ड के उत्तरदायित्वों में कंपनी के कार्य का निरीक्षण करना कानूनी एवं वैधानिक अनुपालन की निगरानी और इसे दी गई सूचना के आधार पर जोखिम प्रबंधन करना है।
एमएमटीसी के कारपोरेट गवर्नेंस फे्रमवर्क की निगरानी करना भी बोर्ड का दायित्व है।
कंपनी के क्रियाकलाप बोर्ड के निर्देशन में प्रबंधित किए जायेंगे जो कंपनीज अधिनियम 1956 और कंपनी के मेमेोरैंडम व आर्टिकल्स आफ एसोसिएशन में समाहित फे्रमवर्क के सीमान्तर्गत होंगे।
3.1 कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप एमएमटीसी का निदेशक मंडल ऐसी समस्त शक्तियों का उपयोगकरने तथा ऐसे सभी कार्य करने का पात्र होगा जैसा कंपनी को करने के लिए अधिकृत किया गया है, बशर्ते बोर्ड ऐसी कोई शक्ति का उपयोग और ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा जो कंपनी अधिनियम 1956 अथवा किसी अन्य अधिनियम या कंपनी के मेमोरेंडम अथवा आर्टिकल आफ एसोसिएशन अथवा किसी अथवा किसी अन्य प्रकार का कार्य नहीं करेगा जो कंपनी द्वारा कंपनी की आम बैठक में किया जाना है। (खंड 29(1) कंपनी अधिनियम 1956)
3.2 निम्नलिख्ति शक्तियों का बोर्ड उपयोग केवल बैठक के समय बैठकों में किया जायेगा(खंड 292 (1) कंपनी अधिनियम 1956)
क. शेयरहोल्डर्स से उनके शेयर की भुगतान न की गई राशि के संबंध में बातचीत करने की शक्तियां।
(क क) कंपनी अधिनियम 1956 के खंड 77क के उप खंड (2) की धारा (ख) के प्रथम धारा में संदर्भित प्रावधानों के अनुसार बायबैंक (शेयरों का) के लिए अधिकृत करने की शक्तियां।
(ख) डिबेंचर जारी करने की शाक्ति
(ग) डिबेंचर के अलावा धन ऋण लेने की शक्ति
(घ) कंपनी की निधियों को निवेश करने की शक्ति और
(ड) ऋण देने की शक्ति।
बोर्ड की बैठकों में संकल्प पारित कर उपरोक्त (ग)(घ) (ड.) में से कुछ शक्तियां बोर्ड अन्य कार्यकारियों को प्रत्यायोजित कर सकता है।
3.3 बोर्ड की निम्नांकित शक्तियों की सीमाएं हैं और कंपनी की आम बैठक में सहमति के बिना उपयोग नहीं की जा सकती है(कंपनी अधिनियम, 1956, का खंड 293(1)
(क) कंपनी की संपत्तियां पूर्ण अथवा आंशिक रूप से बेचना, पटटे पर देना अथवा निपटाना।
(ख) निदेशक द्वारा देय किसी ऋण को भेजना अथवा पुनर्भुगतान के लिए समय देना।
(ग) न्यास प्रतिभूतियों के अलावा कहां और निवेश करना।
(घ) धन उधार लेना जहां उधार लिए जाने वाला धन कंपनी द्वारा पहले लिए गए धन के साथ (साधारण व्यापारिक गतिविधियों में कंपनी के बैंकरों से लिए गए अस्थायी ऋण को छोड़कर) कंपनी के कुल प्रदत्त पूंजी और इसके मुक्त रिजर्व से अधिक हो जाए अर्थात किसी विशेष उदद्देश्य से जो रिजर्व अलग न रखा गया हो।
(ड.) कंपनी के व्यापार से सीधा संबंध न रखने वाले िकसी धर्मार्थ और किसी अन्य निधि अथवा कर्मचारियों के कल्याण के लिए कुल मिलाकर किसी राशि का अंशदान करना, जो किसी वित्त वर्ष में पचास हजार रूपये से अधिक हो अथवा खंड 349 और 350 के प्रावधानों के अनुसार ठीक तीन पूर्व वर्षो के दौरान निर्धारित निवल लाभ के औसत 5 प्रतिशत जो भी अधिक हो।
3.4 कंपनी के व्यापार का प्रबंधन बोर्ड द्वारा किया जायेगा जो कंपनी की ऐसी शक्तियों का उपयोग करेगा जिनका उपयोग करना कंपनी अधिनियम 1956 अथवा एमएमटीसी के आर्टिकल आफ एसोसिएशन द्वारा कंपनी की सामान्य बैठकों में उपयोग करना आवश्यक नहीं है, नहीं तो उपरोक्त आर्टिकल के प्रावधानों के अनुसार कंपनी अधिनियम के प्रावधानों और निर्देशों यदि कोई हो जो समय समय पर राष्ट्रपति जारी करें और ऐसे विनियम जो पूर्वोक्त प्रावधानों से बेमेल न हो जैसा कि कंपनी के सामान्य बैठक में निर्धारित किया जाए लेकिन कंपनी द्वारा सामान्य बैठक में कोई विनियम न बनाया गया हो जो निदेशकों के पूर्व कार्य को अवैद्य कर रहा हो जो वैद्य रहता यदि वह विनियम न बनाया गया होता। (एमएमटीसी के आर्टिकल एसोसिएशन का आर्टिकल स.88)
3.5 समय-समय पर बोर्ड चैयरमैन/मैनेजिंग डायरेक्टर, डायरेक्टर्स,मुख्य महाप्रबंधकों, महाप्रबंधक अथवा प्रबंधक और वित्त परामर्शदाता अथवा लेखा अधिकारी को कुछ समय के लिए ऐसी शक्तियां प्रदान कर सकता है जिन्हें आर्टिकल आफ एसोसिएशन के अनुसार निदेशक मंडल द्वारा उपयोग किया जा सकता है। यदि बोर्ड ठीक समझे और ऐसी शक्तियां ऐसे समय के लिए और ऐसे उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाये और ऐसी शर्तो और ऐसे प्रतिबंध के साथ जैसा जल्दी समझे शक्तियां प्रदान कर सकता है। ऐसी शक्तियां संयुक्त रूप से अथवा एकल तौर पर और निदेशकों के िकसी या सभी शक्तियों के स्थान पर प्रदान कर सकता है। इस संबंध में समय-समय पर ऐसे प्रदान की गई शक्तियों को बोर्ड द्वारा रदद्, वापस बदला अथवा भिन्न किया जा सकता है(एमएमटीसी आर्टिकल आफ एसोसिएशन आर्टिकल 87(9)
3.6 निदेशकों/बोर्ड को आगे संक्षेप में वर्णित निम्नलिखित मामलों में विशिष्ट शाक्तियां होंगी(एमएमटीसी के आर्टिकल आफ एशोसिएशन के आर्टिकल 89 में दिए गए विवरण)
क. संपति का अधिग्रहण करना।
ख. पूंजीगत प्रकार के कार्य करने हेतु प्राधिकृत करना।
ग. डिवेंचर आदि में संपत्ति के लिए भुगतान करना।
घ. बंधक द्वारा संविदाओं को सुरक्षित करना।
ड. पदों का सृजन और अधिकारियों आदि की नियुक्ति करना।
च. न्यासियों को नियुक्त करना।
छ. कार्य लाना और रक्षा करना आदि।
ज. मध्यस्थ के मामले योजना
झ. रसीद देना
झ. स्वीकृति आदि को प्राधिकृत करना
ट. अटार्नी नियुक्त करना
ठ. धन निवेश करना
ढ. लाभ में प्रतिशत कमीशन देना।
ण. बोनस देना
त. उपनियम बनाना
थ. भविष्य निधि का सृजन करना
द. स्थानीय बोर्ड स्थापित करना
ध. संविदा आदि बनाना
न. शक्तियों का उपप्रत्यायोजन करना
4.0 बोर्ड बैठकों की संख्या
बोर्ड की तीन माह में कम से कम एक बैठक होगी और प्रतिवर्ष इस प्रकार की चार बैठकें आयोजित होंगी। आगे, ऐसी किन्हीं दो बैठकों में तीन माह से अधिक अंतराल नहीं होगा।
5.0 बोर्ड की समितियां
कोई भी निदेशक ऐसी सभी कंपनियों में जहां वह निदेशक है, 10 से अधिक समितियों का सदस्य नहीं होगा और पांच से अधिक में चेयरमैन का कार्य नहीं करेगा। आगे, प्रत्येक निदेशक के लिए यह आवश्यक होगा कि वह अन्य कंपनियों में आसीन समिति स्थिति के विषय में प्रतिवर्ष कंपनी को सूचित करें और जब भी कोई परिवर्तन होता है तो उसे बताएं।
व्याख्या
क. समितियों की सीमा जिन पर निदेशक सेवा कर सकता है, पर विचार के लिए सभी पब्लिक लिमिटेड कंपनियां चाहे वे लिस्टेड हों या नहीं, इसमें शामिल मानी जायेंगी।
ख. इस धारा के अंतर्गत सीमा की गिनती के उदेदश्य के लिए अध्यक्ष/ लेखा परीक्षा समितियों की सदस्यता और शेयरहोल्डर्स की शिकायत निवारण समितियों को ही माना जाएगा।
6. व्यापार आचार और नैतिकता की संहिता
बोर्ड सभी बोर्ड सदस्यों और कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधन के लिए एक व्यापार आचार एवं नैतिकता संहिता तैयार करेगा। संहिता को परिचालित किया जायेगा और कंपनी के वेबसाइट पर डाला जायेगा। (स्वीकृत संहिता पहले ही एमएमटीसी की वेबसाइटwww.mmtclimited.gov.in पर उपलब्ध है)
सभी बोर्ड सदस्य और वरिष्ठ प्रबंधन कार्मिक वार्षिक आधार पर संहिता का अनुपालन सुनिश्चित करेंगे। कंपनी की वार्षिक रिपोर्टमें मुख्य कार्यकारी द्वारा हस्ताक्षरित इस आशय की घोषणा शामिल होगी।
7.0 विधियों का अनुपालन
बोर्ड कंपनी पर लागू होने वाले तथा कंपनी द्वारा बनाए गए सभी विधियों का समय-समय पर अनुपालन रिपोर्ट की समीक्षा करेगा। साथ ही अवहेलना की घटनाओं को दुरस्त करने के कंपनी द्वारा उठाये गये कदमों की भी समीक्षा करेगा।
8.0 जोखिम प्रबंधन
बोर्ड कारपोरेट और कार्य प्रचालन के उददेश्य के साथ जोखिम प्रबंधन प्रणाली का एकीकरण एवं सम्मिश्रण सुनिश्चित करेगा और जोखिम प्रबंधन सामान्य व्यापारिक क्रिया के रूप में न कि निर्धारित समय पर अलग काम के रूप में किया जाता है।
9.0 बोर्ड के कर्तव्य
निदेशक मंडल कानून के अंतर्गत वांछित मामलों पर विचार करने और कंपनी के कार्यनिष्पादन पर प्रबंधतंत्र द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर विचार करने, समीक्षा करने और चर्चा करने कंपनी की योजनाओं, आसार और इसके समक्ष आने वाले तत्कालिक मामलों पर विचारार्थ, समय-समय पर बैठक करेंगे। प्रबंधंतंत्र की सामान्य जांच के अलावा बोर्ड निम्नलिखित बातों पर विचार करेगा:
(i) वार्षिक कार्यकलाप योजनाएं और बजट और कोई अद्यतन
(ii) पूंजीगत बजट और कोई अन्य अद्यतन
(iii) कंपनी के तिमाही परिणाम और इसके प्रचालन प्रभाग और व्यापारिक खंड
(iv) लेखा परीक्षा समिति की बैठकों और बोर्ड की अन्य बैठकों के कार्यवृत्त
(v) बोर्ड स्तर के ठीक निचले स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति और पारितोषिक पर सूचना, जिसमें मुख्य वित्त अधिकारी और कंपनी सचिव की नियुक्ति और बर्खास्तगी भी शामिल है।
(vi) कारण बताओ, मांग कानूनी कार्रवाई संबंधी नोटिस और दंड की सूचनाएं जो महत्वपूर्ण हो।
(vii) घातक अथवा गंभीर दुर्घटनांए, खतरनाक घटनाएं, कोइ विशेष तरल बहाव अथवा प्रदूषण समस्याएं।
(viii) कंपनी को या कंपनी द्वारा किसी भारी वित्तीय प्रतिबतद्धता में चूक अथवा कंपनी द्वारा बेचे गए माल के भारी रकम का भुगतान न करना
(ix) ऐसा कोई मामला जिसमें भारी किस्म के संभावित सार्वजनिक अथवा उत्पाद देयता दावे शामिल हों, जिसमें कोई निर्णय अथवा आदेश जो कंपनी के आचार पर कोई चेतावनी पारित किया हो अथवा दूसरे उद्यम के संबंध में प्रतिकूल टिप्पणी की जो जिससे कंपनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
(x) किसी संयुक्त उद्यम अथवा सह उद्यम समझौता के विवरण
(xi) ऐसे लेन देन जिसमें गुडविल, ब्रांडइक्विटी अथवा बौद्धिक संपति के संबंध में भारी भुगतान शामिल हो।
(xii) महत्वपूर्ण मजदूर समस्याएं और उनका प्रस्तावित समाधान।मानव संसाधन/औद्योगिक संबंध जैसे वेतन समझौते पर हस्ताक्षर, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना आदि कोई महत्वपूर्ण प्रगति शामिल है।
(xiii) भारी किस्म के निवेशों, सहायक कंपनियों,परिसंपत्तियों की बिक्री जो सामान्य तौर पर व्यापार का अंग नहीं है।
(xiv) विदेशी मुद्रा विनिमय जोखिम का तिमाही विवरण और यदि महत्वपूर्ण हो तो विनियम दर की गति के प्रतिकूल जोखिम सीमित करने के लिए प्रबंधतंत्र द्वारा उठाये गए कदम।
(xv) किसी नियामक, सांविधिक अथवा लिस्टिंग की आवश्यकताओं का अनुपालन न करना और शेयरहोल्डर सेवाएं जैसे लाभांश का भुगतान न करना, शेयर अंतरण में विलंब आदि।
10.0 निदेशकों के सामान्य कर्तव्य
बोर्ड के सदस्यों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे सच्चे विश्वास और पूरी सावधानी से कार्य करेंगे ताकि वे अपना निर्णय जानकारी के आधार पर ले सकें जो उचित और इमानदारी से कंपनी के हित में विश्वास करते है।